आहट सुनकर उनकी,
हम थोड़ा संभल गए,
दस्तक होगी अब,
थोड़ा बेचैन हुए,
सम्भाला दिल को,
सँवारा ख़ुद को,
इंतहा मगर तब,
हुई इंतज़ार की।
आहट जो हुई थी,
उनके दूर जाने की थी,
हम फर्क ना कर सके।
-संदीप गुप्ता SandySoil
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