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बहुत रोकना चाहा जिसे,
वही मुँह मोड़ गया।
जाते जाते बेदर्द चोट गहरी दे गया।
ज़ख़्म तन का था,
पर दिल को दर्द दे गया।
जिसको भुलाना था,
उसकी निशानी छोड़ गया।
~सम्रिता©
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