
Share0 Bookmarks 0 Reads2 Likes
हँसते हँसते सूली चढ़ गए,
वो वीर, अमर, बलिदानी।
स्वार्थ, परिवार, सुख, त्याग दिए सारे,
क्योंकि आज़ादी थी पानी।
संपूर्ण स्वराज की चाहत में,
लड़ पड़े स्वतंत्रता सेनानी।
बेरहम अंग्रेज़ी हुकूमत ने,
कभी बरसाए कोड़े,
तो कभी दी सज़ा ए काला पानी।
क्या खुद के लिये थी,
उनकी ये लड़ाई?
देख भी ना पाये आज़ादी का सवेरा,
उनमें से कईं।
फ़िर क्यों हुए न्योछावर वो?
क्या किसी एक जाति, धर्म या
एक राज्य के लिये थी उनकी लड़ाई?
संपूर्ण भारत देश के लिये,
दी थी वीरों ने क़ुर्बानी।
आज लड़ पड़ते हैं हम,
भाषा, जात और धर्म के नाम पर।
क्यों करते हैं हम ये नादानी?
क्यों ना हर भारतीय बने,
केवल 'भारतवासी'?
यही होगी उन शहीदों के लिए,
सच्ची श्रद्धांजलि।
- सम्रिता®
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments