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हँसते हँसते सूली चढ़ गए,
वो वीर, अमर, बलिदानी।
स्वार्थ, परिवार, सुख, त्याग दिए सारे,
क्योंकि आज़ादी थी पानी।
संपूर्ण स्वराज की चाहत में,
लड़ पड़े स्वतंत्रता सेनानी।
बेरहम अंग्रेज़ी हुकूमत ने,
कभी बरसाए कोड़े,
तो कभी दी सज़ा ए काला पानी।
क्या खुद के लिये थी,
उनकी ये लड़ाई?
देख भी ना पाये आज़ादी का सवेरा,
उनमें से कईं।
फ़िर क्यों हुए न्योछावर वो?
क्या क
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