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हम्म वो एक दौर था,चिट्ठियों वाला। काफ़ी ख़ूबसूरत दौर था वो।आज के ज़माने में हम सिर्फ़ व्हाट्सएप facebook ,इंस्टाग्राम और ऐसी ही न जाने कितनी social messaging app के बारे मे जानते हैं लेकिन क्या ये सब सच मे उस वक्त की चिट्ठी से ज़्यादा ख़ूबसूरत हैं?,
बेशक़ नही हैं इस बात से तो आप सब को सहमत होना ही पड़ेगा।
पहले के टाइम में चिट्ठी को देखकर ही समझ लिया जाता था कि अंदर क्या लिखा हैं, मतलब ये कि अगर उसका एक कोना फटा हुआ हैं तो इसका मतलब हैं कि घर मे किसी का इन्तेकाल हुआ हैं।या कोई और बुरी ख़बर हैं।
अगर किसी चिट्ठी में लिखा हैं कि ख़त को तार समझना,तो इसका मतलब हैं कि अर्जेन्ट हैं घर वापिस आओ जल्दी से जल्दी।
कुछ लोग ये भी लिखते थे कि थोड़े लिखे को ज़्यादा समझना,बाकी आप ख़ुद समझदार हैं।
सही कहा हैं किसी ने Post office,postman आज के ज़माने में भी हैं बस अब कोई किसी को चिट्ठी नही लिखता।
चिठी महज़ चिट्ठी नही होती हैं, उसमे अल्फ़ाज़ से ज़्यादा जज़्बात होते हैं।उसमे बिल्कुल भी बनावट नही होती हैं। अगर आपको आज के इस डिजिटल दौर में भी बड़ा सा text या कोई चिट्ठी भेजता हैं तो इसका मतलब साफ हैं कि आप उस शख़्स के लिए बहुत ख़ास हैं।
बहुत ख़ूबसूरत होगा वो दौर जब डाकिया फिर से चिट्ठी देने आया करेगा। पता नही वो सब फ़िर से कभी होगा भी या नही।आज के इस दौर में ये बिल्कुल सच ही कहा हैं किसी ने कि आप chatting को delete करने में ज़रा सा भी दर्द महसूस नही करेंगे जितना कि अगर किसी चिट्ठी को मज़बूरन कभी जलाओ तो वो बेतहाशा दर्द देता हैं।
फ़िल्मी दुनिया में चिट्ठी की खूबसूरती महसूस की जाती हैं और शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा जिसने ये गाना न सुना हो-
चिट्ठी न कोई सन्देश, जाने वो कौन सा देश,
कहाँ तुम
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