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विद्रोह
आज के दौर में,
आपके मुँह में जबान,
और हाथ में कलम जरूरी है।
आज के दौर में विद्रोही होना ज़रूरी हो गया है,
ख़ास तौर से जब,
जब ये सरकारें,ये समाज,
जिसे आपने बनाया है,
जो आपके लिए बना है,
वही आपका दमन करने लगे,
और ये लाज़मी हैं,कि जब बात,
बात करने से न बने,
तो मुँह की ज़बान
हाथ में कलम बनकर
तलवार बन जाए,
Edward Bulwer Lytton ने कहा है कि
"The pen is mighter than the sword."
लेकिन हकीकत तो ये है कि
"The pen is the mightest sword."
पहले भी लिखा था
आज भी लिख रही हूँ कि लिखो,
लिखो, जब तुम कुछ कर न सको,
लिखो, जब तुम कुछ कह न सको,
लिखो, जब तुम कुछ बोल न सको,
लिखो क्योंकि कुछ क्रान्तियाँ
सिर्फ़ खून से ही नहीं कलम से भी लिखी जाती है,
इसलिए भरो अपनी कलम में स्याही अपने खून की,
और तब तक लिखतें रहो,
जब तक तुम्हारी ख़ूनी स्याही,
लहरा न दे परचम एक नए आगाज़,
नई क्रांति और एक नये दौर का।
©- सलमा मलिक
20 January 2023
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