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मेंरा एक छोटा सा कमरा हैं,
जिसके एक साइड में मेरी मेज़ कुर्सी औऱ लैम्प हैं,
वही टेबल पर मेरी एक डायरी हमेशा मौजूद रहती हैं,
और ठीक उसी के पास मेरी ग्रीन सिर्फ़ ग्रीन पेन,
(क्योंकि यही मेरा favourite हैं)
उस कमरे में एक डिज़ाइनर बूकशेल्फ़ हैं,
जिसमें मेरी आज तक की ख़रीदी हुई सारी किताबें जमा हैं,
जिसमें शामिल हैं कुछ दीवान(ग़ज़लों का संग्रह),
कुछ उपन्यास, कुछ किस्से-कहानी,
कुछ मेरी ही लिखी हुई डायरिया,
जिनमे दर्ज़ हूँ मैं तारीख़-बा-तारीख़,
कुछ मेरी बचकानी हरकतें, कुछ मेरी ख़ुशी,
कुछ मेरे ग़म,
ठीक वैसे ही जैसे कोई भी कलमकार
दर्ज़ करता हैं ख़ुद को अपनी किताबों में।
किताबे,मुझें बेहद पसंद हैं,और मेरा मानना हैं कि किसी को देने के लिए किताब से बेहतरीन कोई तोहफ़ा नही होता।
मैंने जितना किताबो से पढ़ा हैं,
ज़िंदगी से सीखा हैं, उतना ही दर्ज़ किया हैं मैंने ख़ुद को अपनी डायरी में।
सुनो जब मै तुम्हें कही न मिलूँ न,
तो ढूँढना तुम मुझें मेरी इस डायरी और इस कमरे में,
क्योंकि इसमें दर्ज़ होने के साथ साथ,
इनमें दफ़्न भी हूँ मैं।
सुनो कुछ और भी कहना हैं मुझें,
ऊपर जो कुछ भी लिखा हैं,
वो मेरा ख़्वाब हैं, हक़ीक़त नही।
मग़र ये ख़्वाब एक दिन ज़रूर पूरा करना हैं मुझें।
©- Salma Malik
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