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कविता - "ये कविता तुम्हारे लिए है" कविता - "ये कविता तुम्हारे लिए है" कविता- "ये कविता तुम्हारे लिए है"
January 24, 2023Share0 Bookmarks 49009 Reads0 Likes
उसने प्रेम के विद्रोह में कविता लिखी,
उसने प्रेम के लिए कोई कविता नहीं लिखी,
उसने लिखा कि प्रेम जैसा कुछ नहीं,
मगर उसने नहीं लिखा कि दुनिया में सिर्फ़ प्रेम है,
जिसके जैसा कुछ नहीं।
उसने लिखा कि प्रेम की आग मीठी दिखती है,
मगर ये बेवकूफ़ी है कि उसमें जला जाये,
मगर उसने नहीं लिखा कि सिर्फ़ प्रेम की ही आग है,
जो इंसान को इंसान बना देती है,
चाहे तपाकर या फिर जलाकर।
एक नास्तिक होकर उसने प्रेम के विद्रोह में अनगिनत कविताएँ लिखी,
मगर उसने कभी नहीं लिखा कि वो प्रेम में आस्तिकता रखता है,उसके वजूद को मानता है,इसलिए उस प्रेम पर कविताएँ करता है।
उसने कहा कि बेरोज़गारी में प्रेम प्रस्ताव के गुलाब नहीं खरीदे जाते,
मगर उसने नहीं कहा कि प्रेम प्रस्ताव किसी को गुलाब देना नहीं है।
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