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January 24, 2023
कविता - "ये कविता तुम्हारे लिए है" कविता - "ये कविता तुम्हारे लिए है" कविता- "ये कविता तुम्हारे लिए है"

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उसने प्रेम के विद्रोह में कविता लिखी,
उसने प्रेम के लिए कोई कविता नहीं लिखी,
उसने लिखा कि प्रेम जैसा कुछ नहीं,
मगर उसने नहीं लिखा कि दुनिया में सिर्फ़ प्रेम है,
जिसके जैसा कुछ नहीं।
उसने लिखा कि प्रेम की आग मीठी दिखती है,
मगर ये बेवकूफ़ी है कि उसमें जला जाये,
मगर उसने नहीं लिखा कि सिर्फ़ प्रेम की ही आग है,
जो इंसान को इंसान बना देती है,
चाहे तपाकर या फिर जलाकर।
एक नास्तिक होकर उसने प्रेम के विद्रोह में अनगिनत कविताएँ लिखी,
मगर उसने कभी नहीं लिखा कि वो प्रेम में आस्तिकता रखता है,उसके वजूद को मानता है,इसलिए उस प्रेम पर कविताएँ करता है।
उसने कहा कि बेरोज़गारी में प्रेम प्रस्ताव के गुलाब नहीं खरीदे जाते,
मगर उसने नहीं कहा कि प्रेम प्रस्ताव किसी को गुलाब देना नहीं है।
उसने कहा कि मैं तुम्हें प्रेम तो कर सकता हूँ मगर ख़ुद पर कोई बंधन नहीं चाहता,
मगर उसने नहीं लिखा कि प्रेम बन्धन का नहीं आज़ादी का नाम है।
उसने ये तो लिख दिया कि प्रेम में धोखा देने वालों को सज़ा मिलनी चाहिए,
मगर उसने ये नहीं लिखा कि हर बार धोख़ा धोख़ा नहीं होता,कई बार हमें प्रेमी या प्रेमिका का प्रेम त्यागकर,परिवार का प्रेम चुनना पड़ता है,जो धोख़ा नहीं होता।
उसने ये तो लिख दिया कि प्रेम में देह का देह से मिलन गलत नहीं होता,
मगर उसने ये नहीं लिखा कि प्रेम में देह का मिलन हो या न हो,दिलो का मिलन होना ज़्यादा ज़रूरी है।
वो हर बार प्रेम के ख़िलाफ़ एक नई कविता लिखकर,एक के बाद एक दलील देता रहा,
मगर उसने कभी एक कविता प्रेम पर नहीं लिखी,ये कहकर कि "ये कविता तुम्हारे लिए है"
- सलमा मलिक
24 January 2023
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