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कविता- कुछ स्त्रियाँ सिर्फ़ पुरुष होती हैं।
कुछ स्त्रियाँ सिर्फ़ पुरुष होती हैं।
पुरुष समाज में रहकर आ जाता है उनमे पुरुषत्व,
वो स्त्रियाँ अपनी बेटियों सिखाती हैं सिर्फ़ स्त्री और पुरुष का फ़र्क़,
जहाँ पर स्त्री का मतलब कमज़ोर और पुरुष का मतलब ताकत होता है,
वो बताती है कि पुरुष पति परमेश्वर होता है,
वो नहीं बताती कि पति सिर्फ़ पति होता है,
परमेश्वर नहीं।
उन्हें लगता है कि एक पुरुष ही
एक स्त्री को स्त्री बना सकता है,
वो कभी नहीं समझ पाती अपना स्त्रीत्व,
और पीटती रहती है अपनी क़िस्मत की लकीरों को।
मगर कुछ पुरुष
पुरुष होकर भी नहीं निकाल पाते अपना स्त्रीत्व,
क्योंकि वो जानते हैं कि वो जन्मे हैं एक स्त्री से,
वो जानते है कि बिना पुरुष के जितनी अधूरी है एक स्त्री,
बिना स्त्री के उतना ही अधूरा है एक पुरूष,
इसीलिए
वो खड़े रहते हैं हमेशा साथ,
अपनी बहनों,बीवियों और बेटियों के,
क्योंकि वो जानते हैं कि एक पुरुष का असली पुरुषत्व उसके पुरुष होने में नहीं,बल्कि उसके स्त्रीत्व में हैं।
©- सलमा मलिक
18 January 2023
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