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जावेद का हुस्ना के नाम एक ख़त - ओ हुस्ना मेरी

Salma MalikSalma Malik November 6, 2022
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आप सभी ने ये मशहूर गीत "ओ हुस्ना मेरी" तो सुना ही होगा जिसे लिखा है "पियूष मिश्रा" जी ने।असल में ये गीत महज़ एक गीत नहीं है बल्क़ि एक ख़त है,जिसे एक गीत के अंदाज़ में पेश किया गया है।मगर क्या आप जानते हैं कि हुस्ना कौन थी,और वो शख़्स कौन था जिसने ये ख़त लिखा था?
1947 के बटवारें से पहले 12 अल्हड़ सी लड़कियाँ जो अपनी जवानी के सपने बुन रही थी कि कोई राजकुमार आयेगा और उन्हें ले जायेगा मगर आया तो सिर्फ़ एक तूफ़ान, ऐसा तूफान जिसने उन 12 लड़कियों के साथ साथ न जाने कितनी ज़िन्दगियाँ बदल दी। वो तूफ़ान था 1947 का हिन्दुस्तान पाकिस्तान का बटवारा,वो बटवारा जिसने सब कुछ बाट दिया मगर फिर भी सब ख़ाली हाथ रहें, हाथ आया भी तो सिर्फ़ उदासी,मायूसी, ख़ामोशी,दर्द,तड़प,बैचैनी,बिछड़न।इस बटवारे में वो 12 लड़कियाँ न जाने कहाँ कहाँ पहुँची, कोई लखनऊ,कोई अमृतसर तो कोई कही और। उन 12 लड़कियों में एक लड़की थी हुस्ना,जो वही लाहौर में रह गयी,जिसने अपनी आँखों से न जाने कितने दर्द सहे।जिसकी शादी उसके प्रेमी जावेद से होने वाली थी मगर जावेद अब उससे दूर अलग शहर लखनऊ में पहुँच गया था, गुजरते वक़्त के साथ वहाँ जाकर उसने अपना घर बसा लिया मगर हुस्ना अपनी ज़िन्दगी में आगे न बढ़ सकी। बढ़ती भी कैसे क्योंकि वो सब कुछ सहते सहते अब पत्थर हो चुकी थी।
उन्ही में से एक लड़की और थी जो आगरा में थी और जो अपने बेटे की शादी में अपनी सभी सहेलियों को बुलाती है,और शादी में ज़ावेद उन सब को अपने ख़त की एक एक कॉपी देता है, वो ख़त जो उसने हुस्ना के नाम लिखा था इस उम्मीद में कि ये कभी उसकी हुस्ना के पास पहुँचे। वो हुस्ना से जानना चाहता है,वो पूछना चाहता है कि आख़िर ये क्या हुआ? ये हिंदुस्तान,ये पाकिस्तान क्या है?इन सियासतदारों ने ये दो टुकड़े,दिलो को अलग-अलग करके क्यों बनाये है? क्या वहाँ की मिट्टी,हवा,पानी,पत्ते,त्यौहार और लोग ऐसे नही हैं जैसे हिन्दुस्तान के हैं?
आईये आज इस ख़त को पढ़ते है और समझतें है इक नये अंदाज़ में।

जावेद अपने ख़त की पहली दो लाइन्स में हुस्ना का पता बताता है और लिखता है कि -

"लाहौर के उस पहले जिले के दो परगना में पहुँचे,
  रेशम गली के दूजे कूचे के चौथे मकाँ में पहुँचे।"
"This letter should be reached in Lahore's first district and second subdivision,
It should be reached in Resham street in the second colony's fourth house."

"और कहते है जिसको दूजा मुल्क़ उस पाकिस्ता में पहुँचे,
लिखता हूँ ख़त मैं हिन्दोस्तां से,पहलू-ए-हुस्ना-हुस्ना में पहुँचे,
ओ हुस्ना मेरी"
"And it should be reached in different country known as pakistan,
I am writing this letter from india, It should be reached by husna's side
O My Husna"

"मैं तो हूँ बैठा,ओ हुस्ना मेरी,यादो पुरानी में खोया,
पल पल को गिनता,पल पल को चुनता,बीती कहानी में खोया।"
"I am sitti

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