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हम सब उम्र भर भागते ही रहते हैं,
कभी इस समाज से,
जिम्मेदारियों से,
कभी परिवार से,
प्यार से,
कभी अपनो से,
और कभी अपने आप से,
मग़र कभी सोचा हैं,
इन सब से तुम भाग भी गये तो क्या?
तुम जितना इनसे दूर भागोगे,
ये उतना ही तुम्हारे पीछे भागेंगे।
इनसे भागकर कभी कोई कही नही पहुँचता।
इनसे बचकर भागने से बेहतर हैं,
वक़्त की रफ़्तार के साथ साथ चलना।
क्योंकि जो वक़्त की रफ़्तार के साथ चलते हैं,
वो एक दिन मन्ज़िल पर पहुँच ही जाते हैं,
मग़र भागने वाले कही नही पहुँच पाते।
©- Salma Malik
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