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तुम्हे याद हैं तुम हमेशा से चाहते थे,
कि सिर्फ़ और सिर्फ़ मैं तुम्हारे साथ रहूँ, 
जितना ज़्यादा हो सके उतना साथ रहूँ। 
मजबूर नही किया तुमने मग़र request कई बार की हैं।
मेरे साथ बिताये हुए लम्हें तुम्हारी ज़िंदगी का बेहतरीन हिस्सा हैं, ये बात तुमसे बेहतर तो कोई नही जान सकता।याद हैं न तुम्हें?
तुम्हें हमेशा से शिकायत रही हैं कि मैं सब भूल जाती हूँ,
भूलती नहीं हूँ कुछ,न भूल सकती हूँ और न भूलना चाहती हूँ,
हाँ ये बात और हैं कि मैं तुम्हारे सामने उन चीज़ों को याद करके तुम्हें कमजोर नही करना चाहती।
बहुत सारी शिकायतें रहती हैं न मुझसे,
होनी भी चाहिए, मैंने कभी तुम्हारी शिकायतों का बुरा नही माना, मान भी नही सकती।
कभी कभी ये जो तुम लुका-छिप्पी का खेल खेलते हो न आज भी,डर नही लगता अब इससे,हाँ एक वक़्त था,कि बहुत बैचैन हो जाती थी मैं मग़र अब नही। क्योंकि पहले ये तुम खेल सिर्फ़ मुझे चोट पहुँचाने के लिए खेलते थे और अब खेलते हो तो ख़ुद को चोट से बचाने के लिये।
और मैं भी चाहती हूँ कि तुम ख़ुद को कई और भी चोटों से बचा लो।
तुमनें हमेशा चाहा कि मैं तुम्हें इस प्रेम की नदी में बहा ले जाऊँ,
औऱ मैंने हमेशा चाहा कि तुम एक किनारे उतर जाओ,
मेरे साथ बहकर तो तुम कही नही पहु

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