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किसी कुंज में कन्या होकर
घर की रौनक हो जाती है
माँ-बाबा की आँख का तारा
अब विद्यालय में नाम कमाती है
जैसे-जैसे लड़कपन छूटा
जग को खटकती जाती है
किसी रोज को जोड़ा पहने<
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