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इस अधूरेपन से दिल को कैसे मैं आराम दूँ
है अधूरी जो कहानी उसको क्या मैं नाम दूँ
साथ था जब तक तू मेरे ,मेरा हौसला मेरे साथ था
अब अकेले इस सफर को क्या नया मैं मुक़ाम दूँ
इक वादा था जो तुमसे ज़िन्दगी भर के साथ का
बिन तेरे इस ज़िन्दगी को अब कैसे मैं अंजाम दूँ
#शैलेष त्रिपाठी
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