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लाख ताने हमें सुनाए गए
हम मगर दोस्ती निभाए गए
सच के तन पे निशान चाबुक के
झूठ कांधे पे सब बिठाए गए
जिनके हाथों ने धान काटे थे
भूख से वो सभी जलाए गए
हम पे इल्
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लाख ताने हमें सुनाए गए
हम मगर दोस्ती निभाए गए
सच के तन पे निशान चाबुक के
झूठ कांधे पे सब बिठाए गए
जिनके हाथों ने धान काटे थे
भूख से वो सभी जलाए गए
हम पे इल्
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