
Share0 Bookmarks 8 Reads0 Likes
लोग फिर शहर जलाने निकले
और हम आग बुझाने निकले
आप ख़ुद ही तो सच से डरते हैं
आप क्या हम को डराने निकले
मुस्कुरा के गुनाह करते हैं
मेरे क़ातिल भी सयाने निकले
दर्द थे क़ैद दिल की गुल्लक में
आज निकले तो ख़ज़ाने निकले
आप तूफ़ान हैं, तो हम 'साहिल'
आप भी किसको डुबाने निकले
-साहिल
Twitter: @Saahil_77
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments