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लोग फिर शहर जलाने निकले

और हम आग बुझाने निकले 


आप ख़ुद ही तो सच से डरते हैं

आप क्या हम को डराने निकले 


मुस्कुरा के गुनाह करते हैं

मेरे क़ातिल भी सयाने निकले  

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