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मुश्किलों में मिरा दिल जले और भी
कब चमन में कभी गुल खिले और भी
लोग उसको मगर थे मिले और भी
में भी पूछूँ तुझे दर्द है या नहीं
इश्क़ मुझसे मगर अब तो होगा नहीं
क्यों न बाकी रहे सिलसिले और भी
साहिल फ़ारूक़ी अमरोहवी
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