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उम्र बढ़ जाती है
सोच बदल जाती है
बदल जाता है सोच का पैमाना
जिंदगी के हर दौर का रह जाता है अफसाना,
अकेले कहीं बैठ कर हर इंसान
लगाता है पल पल का हिसाब,
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उम्र बढ़ जाती है
सोच बदल जाती है
बदल जाता है सोच का पैमाना
जिंदगी के हर दौर का रह जाता है अफसाना,
अकेले कहीं बैठ कर हर इंसान
लगाता है पल पल का हिसाब,
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