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ठहर गए तो खुद मिट जाओगे
बुझे हुए आग की तरह राख बन जाओगे
ये जमाना राख को फूंक मारकर उड़ा देता है
जलते हुए अलाव के पास खड़ा होता है ।
तुम्हारे तपिश की कद्रदान बहुतेरे
दौलत और शोहरत के यार दिलदार तेरे
अगर कुछ भी नहीं तो कोई पास नहीं आयेगा
मक्खियां भी वहीं आती हैं
जहां मिठास का स्वाद आएगा ।।
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