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सूरज छिपा बादल में
प्रकाश हुआ ओझल,
पल भर के लिए अंधकार का साया
सूरज पर बादल मंडराया,
कभी कभी प्रकृति का संदेश
इंसानों को करती सचेत,
हर शक्तिमान को समय चक्र
के आगे झुकने का देती संदेश,
एक अदद बादल भी सूरज को ढक सकता है
प्रकाश पुंज के महाकुंड को भी ढक सकता है
फिर कोई भी शक्तिमान समय
के आगे तुच्छ समझ,
अपने अहंकार को त्याग
नम्र भी बन झुक सकता है ।।
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