सत्य अपराजेय's image
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“सत्य परेशान हो सकता है,

पराजित नहीं “।

हमारे शास्त्रों ,ग्रंथों में स्पश्ट कहा गया है

की सत्य ईश्वर है,

सत्य दबाया जा सकता है,

कुछ समय के लिये झूठलाया,

जा सकता है ।

पर सदा के लिये नहींं ,

सत्य स्वयं भू है ईश्वर है,

अपने आप प्रकट होता है ।

सत्य क्या है ?

सत्य निर्विवाद रुप से शुद्ध आचरण,

व्यक्ति की व्यक्तित्व की दृढता,

जो किसी भी परिस्थिति में,

सत्य आचरण से डिगे नहीं,

आत्मबल, व्यक्तित्व की शुद्धता,

को परिलक्षित करता है ।

सत्य को सदैव अग्निपरीक्षा से

गुजरना पडता है ।

कष्ट ,दुख,अनेक प्रकार की मानसिक,

यातनाओं का सामना करना पडता है, .

तब सत्य कुंदन की तरह चमकते .

हुए अपनी यथार्थता सिद्ध करता है ।।

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