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सपनों की उड़ान पर जब लग जाता है
नियमों की पाबंदियों का ऐलान,
तब हो जाता है सपनों का मर जाना,
भविष्य की अंधी खाई में डूब जाना,
विरोध और हताशा से त्रस्त हो गए
सड़कों और स्टेशनों पर एकत्र,
देश की सुरक्षा के लिए कुर्बान होने वाले
अग्नि ज्वाला बनकर देश की संपत्ति को
करने लगे नष्ट ,
जब युवाओं के सपने मरते हैं तो
वे अग्निशिखा की तरह धधक उठते हैं,
अब आवश्यक है नियमों में बदलाव लाना
युवाओं के सपनों को बचाना ।।
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