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सांझ ढलते ही उदासी का आलम
बुझते आशाओं के दीप का अंधेरा
उगते सूरज से नवजीवन की आशा
सांझ ढलते ही खामोशी का घेरा ।
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सांझ ढलते ही उदासी का आलम
बुझते आशाओं के दीप का अंधेरा
उगते सूरज से नवजीवन की आशा
सांझ ढलते ही खामोशी का घेरा ।
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