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मेरे शब्दों की लडियां
गीत बन जाये,
किसी मायूस होठों की
मुस्कान बन जाये,
जिसके सरगम में कायनात ,
रस-रंग बन जाये,
चिड़ियों की चहचाहट,
भौरों की गुनगुनाहट,
से प्रकृति संगीतमय हो जाये,
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