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समाज की नैतिकता दिन ब दिन गिरती जा रही है,
खून के रिश्ते हों या सामाजिक रिश्ते
सब बिखरते जा रहे हैं,
क्यों ? क्यों अब व्यक्तिवादी सोच
और उससे उत्पन्न आधुनिक विचारों की संकीर्णता
हमारे हर रिश्ते को अविश्वास की भट्ठी में
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