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मुसाफिर हैं हम सब ,
कब तक रहेंगे ना कोई ठिकाना,
एक दिन चले जाना है ।
ए रिश्ते नाते यहीं रह जायेंगे,
बस अपनी यादों को छोड़ जाना है ।
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मुसाफिर हैं हम सब ,
कब तक रहेंगे ना कोई ठिकाना,
एक दिन चले जाना है ।
ए रिश्ते नाते यहीं रह जायेंगे,
बस अपनी यादों को छोड़ जाना है ।
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