Share0 Bookmarks 48344 Reads0 Likes
जिस मां के आंचल में जन्नत नजर आती थी,
आज उस आंचल में पैबंद क्यों,
जो आंचल छत बनकर ममता का छाया दिया,
आज एक कपड़े का टुकड़ा क्यों ?
No posts
No posts
No posts
No posts
जिस मां के आंचल में जन्नत नजर आती थी,
आज उस आंचल में पैबंद क्यों,
जो आंचल छत बनकर ममता का छाया दिया,
आज एक कपड़े का टुकड़ा क्यों ?
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments