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जिस मां के आंचल में जन्नत नजर आती थी,
आज उस आंचल में पैबंद क्यों,
जो आंचल छत बनकर ममता का छाया दिया,
आज एक कपड़े का टुकड़ा क्यों ?
जिनको बचपन में लोरी गाकर सुलाया,
आज उन आंखों में लरजते आंसू,
जिस ममता को भगवान ने भी मान दिया,
आज ममता में इतनी विवशता क्यों ?
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