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क्या कहूं कुछ कह नहीं पाता क्या लिखूं
कुछ लिख नहीं पाता,
चारों तरफ एक मौन आक्रोश का अलाव
जल रहा है,
जो सामाजिक बिखराव का संकेत दे रहा है,
प्यार मोहब्बत के एक एक गांठों को
विवाद और टकराव से खुल रहा है,
हम सुकून और शांति से जीने वाले लोग,
अपने अपने कुंठा से फिजा में जहर भर रहा है ।
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