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हे राम कलयुग में रावण ही रावण
हर गली मुहल्ले चौराहे पर रावण
ये इंसानियत, मानवता के रावण
इनको पहचान पाना भी मुश्किल
ये छद्म वेश में हमारे बीच में ही रहते हैं
समाज देश के हर क्षेत्र में अपनी पैठ
बनाए बैठे हैं,
अब तो आप जैसा कोई राम नहीं है
आप तो वा
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