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कभी अंबर शोक मनाता है
अनगिनत तारों को आंचल में समेटे
हर सुख दुख से लिपटे सिमटे
कभी नहीं घबराता है
कभी अंबर शोक मनाता है ।
जब तारे टूट कर गिरते हैं
सदा के लिए बिछड
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कभी अंबर शोक मनाता है
अनगिनत तारों को आंचल में समेटे
हर सुख दुख से लिपटे सिमटे
कभी नहीं घबराता है
कभी अंबर शोक मनाता है ।
जब तारे टूट कर गिरते हैं
सदा के लिए बिछड
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