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जमाना बदल गया रवायतें बदल गई
इंसान की पहचान चमक दमक में खो गई
आडंबर और दिखावा में जी रहे हैं सभी
सच्चाई छिप गई है झूठी शान में कहीं
लाखों करोड़ों में खेलते हैं जो सभी
घोटालों के जाल में उलझे हैं कहीं ना कहीं
मेहनत और ईमानदारी में रोटी भी नहीं
जिंदगी की हकीकत जमाने की यही,
हर शानदार दागदार है फिर भी रसूख है
आम इंसान तो ईमानदार है फिर भी भूख है ।।
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