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जाएं तो जाएं कहां,
मंजिल का ठिकाना नहीं,
भटक रहे यहां और वहां ।
जाएं तो जाएं कहां ।
जीवन का कोई ज्ञान नहीं,
इंसान रूप है पर इंसान नहीं,
लालच मोह के माया में सब,
उलझे हैं यहां ।
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जाएं तो जाएं कहां,
मंजिल का ठिकाना नहीं,
भटक रहे यहां और वहां ।
जाएं तो जाएं कहां ।
जीवन का कोई ज्ञान नहीं,
इंसान रूप है पर इंसान नहीं,
लालच मोह के माया में सब,
उलझे हैं यहां ।
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