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मेरे अंदर का इंसान जाग उठा
चीत्कार उठा,
खामोशी के इस निर्जन वन में
आवाज उठा मेरे अंतर्मन में
छोड़ो चुप्पी कुछ बोलो
अपने दबे अरमानों को तोलो,
आगे बढ़ो आगाज करो
अन्याय के खिलाफ हुंकार भरो
वही तुम्हारा अपना है
जागो नींद से नहीं सपना है ।।
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