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घात लगाये बैठा है

शिकार के तलाश में,

आंखे गडी हुई हैं अपने

आहार के आस में ।

हर निर्बल सबल का शिकार

मात्र है,

अपने बल का इस्तेमाल

मात्र है ।

कुदरत की इनायत है

जिसमें घात की सियास

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