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“दूसरी पारी”
आज मेरे टूटे हुए गुरूर
का काला दिवस है,
जो मेरे विश्वास के अभिमान
को चूर चूर कर दिया,
समय के चक्र ने आज के
ही दिन मेरे मनोबल को
अपाहिज बना दिया ।
एक साल से बिस्तर के,
इर्द गिर्द जिन्दगी सिमट गयी,
जिन्दगी की सारी हसरतें,
बिखर कर रह गयी ।
अब आने वाले वक्त में
शुरु होगी जीवन की दूजी पारी,
उम्मीदों के उस पार होगी,
जीवन से साझेदारी,
फिर से कदम बढाकर,
चलने की है तैयारी ।
चलने की है तैयारी ।।
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