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दुख से दुख मिला दर्द का चला सिलसिला
एक दूजे से बयां करते हालात,
एक बोला मुझे बहुत दुख है देख
समाज के हालात ,
अपने ही लोग अपने को कर रहे प्रतिघात
कोई मजहब के नाम से डराता है
कोई दंगा करवाता है,
दूजा बोला अरे भाई अब तो कहना भी गुनाह है
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