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दुख से दुख मिला दर्द का चला सिलसिला
एक दूजे से बयां करते हालात,
एक बोला मुझे बहुत दुख है देख
समाज के हालात ,
अपने ही लोग अपने को कर रहे प्रतिघात
कोई मजहब के नाम से डराता है
कोई दंगा करवाता है,
दूजा बोला अरे भाई अब तो कहना भी गुनाह है
चुप रहना है वरना राष्ट्रद्रोही बना दिए जाओगे
राष्ट्रभक्तों की टोली तुम्हे जेल में डाल जायेंगे
चुपचाप देखते रहो अपने ही दुख से क्या
कम दुखी हैं,
जब १४० करोड़ लोग चुप हैं तो
तो हम क्यों बोले चुप रहकर ही
अपने अपने दुख झेले,
यही करामात है यही आज के हालात हैं ।।
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