
Share0 Bookmarks 31 Reads0 Likes
खुद में डूबे हो इस कदर
दुनिया से बेखबर,
बदल रहा परिवेश बदल रहा
हर कलेवर,
पुराने रीति रिवाज बदल रहे हमारे सब
अर्थ की दुनिया के खिलाड़ी हैं हम सब,
मान सम्मान रसूख पर सब कुछ कुर्बान है,
रिश्ते नाते ईमानदारी की गिरती पहचान है,
खुद को जो बदल ना सका
उसका रुक जायेगा सफर
बदल रहा हर परिवेश
बदल रहा हर कलेवर ।।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments