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दारू जो पी लिया सारे गम भुला दिया,
ना खुद में होश है ना जमाने की फिकर,
मदहोश यूं चलता रहा अपने धुन में इधर उधर,
कहते हैं लोग मुझको शराबी बन गया
घर परिवार छोड़ निकम्मा हो गया ,
दारू से मेरी यारी जीवन से भी प्यारी
चुभते हुए खयालों को जेहन में ना आने दिया,
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