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एक दिन चांद ने पूछा तूं रोता क्यों है
मेरे खुशगवार चांदनी में सिसकता क्यों है,
मेरे अश्क तले कवियों ने कविताएं लिखी
प्यार करने वालों ने मोहब्बत की कसमें खाई
एक तूं है की तेरे चेहरे पर गम की परछाई,
जिंदगी आंसुओं तले कटती नहीं
जिंदगी तो फूल की तरह खिलती है
जिसके खुशबू से फिजाएं महक जाती है,
जिंदगी रोकर नहीं काटी जाती है ।
उठो अपने कविताओं से जिंदगी में रंग भरो
जीवन को इंद्रधनुषी रंगो से सजाओ
लोगों के जीवन में अपनी कविताओं से
जीवन में रंग भर दो,
यही तुम्हारा कर्तव्य है यही तुम्हारा धर्म !
आंसू पोछ लो,
कलम उठाओ और इन कोरे कागजों पर
अपने शब्दों से रंग भर दो ।।
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