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ये चमन खुशियों का एक संसार हैं
हम सभी एक फूल बन गुलजार हैं
देश भक्ति है हमारे खून के कतरे कतरे में
फिर हम क्यों बन रहे टकराव के औजार हैं,
खुद की जिम्मेदारियों से मरहूम क्यों,
हम सियासत से हुए मजबूर क्यों,
कौन हमारे खून में विष घोल रहा
अपने ही गुलजार चमन के फूल को
कांटों की बगिया से तोल रहा,
देश है हम सबका जहां बस प्रेम की गूंजे सदा
भाई भाई भी कहीं रह सकते हैं
होकर जुदा ।।
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