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बिक गया जमीर इंसान का
चंद पैसों की ख्वाहिश में
जीवन मूल्य धराशाई हुए
पैसों की ख्वाहिश में ,
भाग रहे हैं लोग पैसा की चाहत में
ना कोई सिद्धांत ना ईमानदारी रही
छूट गई दुनियादारी
खुद की फिक्रदारी रही ।
बदल गया आज इंसानियत का पैमाना
उसूलों की राहदारी भूल गया जमाना ।।
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