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बड़ी बेदर्द दुनिया है जो औरोँ को दुख ना समझे,
किसकी परेशानी क्या है यह भी न जो समझे,
इंसानियतम खो गयी मतलब के कालिमा में,
किसी में कुछ भी नहीं बचा मानवता के बानो में ।।
हर इंसान के दिल में बस पैसों की चाहत है,
अपने हित के लिए दूसरोँ को घातक है,
इंसानियतका जज्बा दिलों से काफ़ूर हो गया,
इंसान अब इंसान के वेष में दानव हो गया ।।
मत पूछो कोई यह बदलाव क्यों हुआ,
इंसान का दिल पाषाण क्योँ हुआ,
दौलत की लालच में अंधा हुआ हर बंदा,
ईश्वर के बनाये इस सांचे का अंजाम यह हुआ ।।
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