
प्रस्तावना: दोस्तों आज मैं एक कहानी सुनाता हूं जो आज कल समाज में विस्तार कर रहा है, बुजुर्ग माता पिता को उनके ही बेटे बहु अनाथ आश्रम में भेज देते हैं क्योंकि उनको अब उनकी परवरिश भार लगती है । कभी कभी मासूम बच्चे भी अपने भटके माता पिता को इस अपराध करने से बचा लेते हैं । इस कहानी में भी मात्र नौ साल का पोता मोहित अपने दादी को अनाथ आश्रम जाने से रोक लेता है ।
मोहित अपने दादी सुनंदा जी के पास बैठा बार बार एक ही सवाल करता है, दादी ! आप क्यों अनाथ आश्रम जा रहीं हैं ? में आपके बिना कैसे रहूंगा दादी प्लीज आप मत जाइए । सुनंदा जी अपनी भरी आंखों से मासूम को देखती सोच रही हैं , में क्या इस मासूम को जवाब दूं कि मैं भी कहां जाना चाहती हूं पर बेटे बहू के बीच उसको लेकर ही रोज कहा सुनी होती रहती घर में कलह बस उसको लेकर ही होता है अतः उसने अपने इकलौते पुत्र सुहास को बोला मुझे बेटा! मुझे अनाथ आश्रम पहुंचा दे वहां रहूंगी तो हम उम्र लोगों में मन लगा रहेगा, तुम लोग काम पर चले जाते हो तो मैं बोर होती हूं । यह सुनते ही बेटा बोला ठीक है मां कल आपको छोड़ देता हूं ।
मोहित यही बात से बार बार दादी से जिद कर रहा था, दादी आप मत जाओ , में आपके बिना नहीं रह सकता और दादी से कुट्टी करके अपने कमरे में सोने चला जाता है ।
सुबह दादी को देखा वो तैयार होकर जाने के लिए बैठी हैं, उसके पापा भी तैयार हो रहे हैं और अपनी पत्नी रत्ना को बार बार हिदायत दे रहे
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