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खुद को खुद से रोज पढ़ता हूं
अपने ही कमियों को रोज परखता हूं
जीवन के एक पन्ने को रोज मोड़ देता हूं
जीवन एक किताब के कुछ पन्नों का
संग्रह ही तो है,
जो हर दिन एक एक पन्ना बंद हो जाता है
और आखिरी पन्ने पर जीवन का अंत
नजर आता है ।।
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