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वक्त क्या बदला लोग बदल गए
बगल से गुजर जाते हैं अजनबी बन गए
ये कैसी फितरत है हम इंसानों की देव
जहां हैसियत ही इंसानों की पहचान रह गए ।
कोई किसी को देता नहीं बस रसूख की पहचान
हैसियत ही हर रिश्तों की बन गई शान
हैसियत बदल गई तो गुमनाम हो गए,
हर रिश्ते वक्त बदलने से अनजान बन गए ।।
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