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उसकी जुल्फों से मेरा ध्यान हटा दे कोई...
जाके उसको मेरा सब हाल सुना दे कोई...
मुसलसल उसकी यादों में खोया हूं...
उसके तसव्वुर में ही दिन रात सोया हूं...
बताना सब पर मेरी कैफियत न कहना...
मेरी आशना को क्यूं ये रंज सहना...
जब बात करे मेरी तो उसे ये इल्म कराना...
वो है मेरी सोहबत का हसीन अफसाना...
उसकी यादों से मेरी अदावत करा दे कोई...
हर उसकी हाफिजा को भुला दे कोई...
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