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आ ठहर मेरे पास बैठ,
आँख मूँद मेरे ख्वाब देख।
यहां वहां हर जगह मै,
तू मुझमे अपनी कायनात देख।।
सिरहने का ख्वाब लिए जो आया है ,
रुक, ठहर, इंतज़ार कर ,
मुझसे तू ऐसी आस कर,
ख्वाब सारे पूरे होंगे ,
मुझसे तू ऐसी बात कर ,
मै समझ गयी तेरी उलझन ,
उलझनो को लांग कर ,
कुछ नये ख्वाब देख ,
आ ठहर मेरे पास बैठ,
आँख मूँद मेरे ख्वाब देख।।
मै निर्जीव फिर भी सजीव हूँ,
तू मुझमे अपनी साँस देख ।
माना तू दूर से आया है ,
कुछ जज्बात साथ में लाया है ,
मुश्किलो को रख कोने मे ,
शान्त मेरे पास बैठ ,
आ ठहर मेरे पास बैठ ,
आँख मूँद मेरे ख्वाब देख ।।
रुद्र*
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