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क्षमताओं का असीमित भंडार हूँ
माँ का प्यार, पापा की दुलार हूँ
मत समझना हमें कमज़ोर
मैं दो-धारी तलवार हूँ
ममता ,त्याग , दया की रूप हूँ
छेड़ोगे तो काली स्वरूप हूँ
प्रेम की अभिव्यक्ति होती जहाँ से
वो रश्मि- शृगार्ं हूँ
निश्छल, पवित्र, मधुक्रीत वीणा की तार
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