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मानो तो जन्नत
ना मानो तो यमलोक है
ज़िंदगी कभी नरक
तो कभी परलोक है
मानो तो हकीकत
ना मानो तो ख़्वाब है
ख्वाहिशें कभी कम
तो कभी बेहिसाब हैं
मानो तो पूरी
ना मानो तो अधूरी है
ज़िंदगी कभी ज़रूरी
तो कभी मज़बूरी है
मानो तो मज़बूत
ना मानो तो कमज़ोर है
जज़्बातों पर टिकती
रिश्तों की बागडोर है
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