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खोजता फिरा बाहर जिसे
वो अंदर तेरे रहा छुपा
नादानियों के तहत अपनी
तू कभी ना उसे ढूंढ सका
उम्र बीती ज्यों ज्यों
इच्छाओं का लोभ बढ़ता गया
सुकून पाने की आस में
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खोजता फिरा बाहर जिसे
वो अंदर तेरे रहा छुपा
नादानियों के तहत अपनी
तू कभी ना उसे ढूंढ सका
उम्र बीती ज्यों ज्यों
इच्छाओं का लोभ बढ़ता गया
सुकून पाने की आस में
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