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मुस्कुराहटें हैं कम
ज़्यादा तनाव है
कल की चिंता में
सुकून का आभाव है
हासिल है जो उससे
कहां संतोष है
काश की चाह में
घटता खुशियों का कोष है
दूर है जो दिल
उससे वाबस्ता है
प्राप्त है जो
मन उसे कहां समझता है
प्राप्त है जो
मन उसे कहां समझता है!!
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